Friday, November 7, 2008

कुछ नही से कुछ लिखना अच्छा है

कहते है स्वाति की बूंदें जब सीप में पड़ती हैं तो मोती बनता है । बांस में पड़ने से वंस्लोचन । लेकिन स्वाति की वही बूँदे जब नालियों में गिर पड़ती हैं तो मोती बनने वाली वही बूंदें बजबजाते कीडे बन जाती हैं । कहने का मतलब यह कि स्थान, समय और परिस्थितियों के अनुसार हर कुछ बदल जाता है। संभवतः मैं भी बदल जाऊं । लेकिन मैं जो अभी हूँ उसे महसूसना चाहता हूँ । इसी में जीना चाहता हूँ । यह सच भी है इस दुनिया में कोई बदलना नही चाहता । युवकों से पूछ कर देखिये क्या वे बूढा बनना चाहतें है ? महल भी ढहना नही चाहते, नदियाँ सूखना नही चाहतीं, दिन ढलना नही चाहता, सूरज डूबना नही चाहता । लेकिन उनके नही चाहने से कुछ नही होता । बदलना जीवन का सच है । बदलना ही निर्माण का आधार है ।
लेकिन मन तो मन है न, इसे कौन और कैसे समझाए । मेरा मन भी यही चाहता है । यह भी नही बदलना चाहता है । इसी लिए मैं वर्तमान में जी रहा हूँ । कविताएँ और दिल की बातें लिखा रहा हूँ । समय के अनुसार शायद बदल जाऊं और यह लिखना बंद हो जाए । लेकिन जब तक नही बदलता तब तक तो लिख लूँ ।

3 comments:

Udan Tashtari said...

बदलते जाईये लिखते जाईये-हर वक्त को पूरा जिऐं...शुभकामनाऐं.

amitabhpriyadarshi said...

achhee lagee aapkee pratikriyaa. dhanyabaad .

Siva Brushes said...

Excellent Article. Thanks for sharing. I like to read...