Sunday, December 21, 2008

प्रेषित है तुमको प्यार नया ,


प्रेषित है तुमको प्यार नया ,

नव वर्ष का संसार नया ,

नए वर्ष की नयी रश्मि एक ,

नव जीवन की नयी खुशी एक ,

जीवन के हर पल , हर क्षण में ,

हो खुशियों का संचार नया ।

प्रेषित है तुमको प्यार नया ।

उन सभी को जो मुझ से जुड़े हैं , जो नहीं जुड़े हैं उनको भी , आंग्ल नए वर्ष की अग्रिम शुभकामना । अग्रिम इस लिए कि कहीं संदेश देने में न पिछड़ जाऊं । इस लिए भी कि कहीं मैं भूल जाऊं और मेरी शुभकामनाओं की जगह जो आपके जीवन में है , वह मेरी गलती से खाली न रह जाए ।

Saturday, December 13, 2008

भूतनाथ के लिए

कुछ यादें पुरानी सहेजना चाहता हूँ ,
तुम्हारा अक्ष फिर से उकेरना चाहता हूँ ,
मिट गयीं हैं यादें तुम्हारी जो दिल से ,
उनको मैं फ़िर से समेटना चाहता हूँ ।

बात कह दी तुमने कुछ पुराने दिनों की ,
बात वर्षों है पुरानी , नहीं दिनों -महीनों की ,
वो कादम्बिनी क्लब की कविता -कहानी ,
संग फ़िर से तुम्हारे बांटना चाहता हूँ ।

पर बन गए तुम भूतनाथ इस जहाँ में
मैं वही अमिताभ बन कर खडा हूँ ,
परदा हटा दो , ज़रा मैं भी तो देखूं ,
जिन्दगी के पन्ने पलटना चाहता हूँ ।

Thursday, December 11, 2008

गावों की याद में

गावों की याद में ,
गुम हुए हम ।
खेतों की फसलें
और हरियाली कम ।
सोंच- सोंच हो जातीं
अब आखें नम ।
हो रहा विकास पर
कहाँ जा रहें हम ।
गावों की याद में .......

सरसों नदारद
और अलसी भी गुम ,
लौटती गायें भी ,
अब रंभाती कम ।
पूछते अब ख़ुद से,
कौन हैं हम ।
कैसे बताएं दिल का ये गम
गावों की याद में
गुम हुए हम ।

माटी की खुशबू
रिश्तों की तपन ,
माँ की ममता,
प्यारी छुवन ,
गावों की याद में ,
खोया सा मन ।
कहाँ नजर आता अब
वह अपनापन ।
गावों की याद में
भीगा ये मन
वो माटी की खुशबू
वो रिश्तों की तपन ........ ।



Sunday, December 7, 2008

मैं जीवन के पन्ने उकेरता हूँ

फूलों की, कलियों की, भौरों की बातें ,
खुशबू की , बदबू की, फिजाओं की यादें ,
सुख की , दुःख की , खुशियों की परतें ,
मैं अपनी बाँहों से घेर लेता हूँ ।
जीवन हूँ , मैं जीवन के पन्ने उकेर देता हूँ ।

भूख की उफान , गरीबी के फंदे ,
सच के , झूठ के , फरेब के धंधे ,
इश्वर के दूत , खुदा के बन्दे ,
सूरत के अच्छे , सीरत के गंदे ,
सबको मैं जीवन में बखेर देता हूँ ।
जीवन हूँ ,मैं जीवन के पन्ने उकेर देता हूँ ।

सुबह की , शाम की , रात की खटक ,
कौओं की काओं , बुलबुल की चहक ,
खिलंदरा बचपन, बहका सा यौवन,
बढ़ता कैअशयोर्य , संजीदा प्रोऔद्पन,
सभी को मैं पल में घेर लेता हूँ ।
जीवन हूँ मैं जीवन के पन्ने उकेर देता हूँ ।

तेरी मुस्कान , उसका क्रंदन ,
किसी की उपेक्षा , किसी का स्पंदन ,
दुष्टों का मर्दन , और देवों का वंदन ,
आंखों की शर्म और दिलों की धड़कन ,
सभी को यूँ हीं मैं छेड़ देता हूँ ।
जीवन हूँ , मैं जीवन के पन्ने उकेर देता हूँ .

Thursday, December 4, 2008

मन मेरा खाली पन्ना

मन खाली पन्ना मेरा
कोई रंग तो उडेल दो ।
धुंआ-धुंआ जीवन मेरा ।
कोई खिड़की खोल दो ।
गांठ कोई दिल में पडी है ,
उसके बंधन खोल दो ।
मन खाली पन्ना मेरा ,
कोई रंग उडेल दो ।
आस्मां खुद में समेटूं ,
और तारे तोड़ लूँ ।
कारवां मैं खुद बनाऊं
नदी की धारा मोड़ दूँ ।
ख्वाहिशें ऐसी हैं मन में
कि सीमाएँ पीछे छोड़ दूँ ।
दर्द सब के शिव सा मैं पी लूँ ,
खुशियाँ हवा में बिखेर दूँ ।
फिर छिडेगी मधुर स्वर लहरी,
ऐसे साज मैं छेड़ दूँ .