Thursday, November 27, 2008

फिर बेगानापन क्यों

भाई देश तुम्हारा है, तुम हमारे भाई हो, फिर क्या बात हुई कि जब मन में आया बम चला दिए , विस्फोटों में बच्चे, निर्दोषों, महिलाओं को मार दिए । आखिर ऐसा क्यों ? क्या यह सम्भव है कि हम अपने ही घर में तोड़-फोड़ करें ? अपने भाई-बहनों को मारें ? या माता-पिता सहित अन्य सगे -सम्बन्धियों को मारें ? शायद ऐसा सम्भव नहीं और उचित भी नही है । कम से कम भारत में तो नहीं । यह बात यहाँ रहने वाले मुसलमान भाई भी जानते हैं । क्योंकि वे यहाँ की संस्कृति और यहाँ की माटी की तहजीब जानते हैं । वे तो ऐसा कभी नहीं कर सकते । ऐसा तो भारतवासियों के लिए सम्भव भी नहीं है ।
ऐसे में मुंबई में ब्लास्ट करने के बाद किसी टीवी चैनेल पर यह बयान दे देने से कि हमारा भी मुल्क इंडिया है, तुम भारत के नहीं हो सकते मेरे भाई । भारत की संस्कृति रही है दूसरो के दुःख से दुखी रहना । हम परपीडक नहीं हैं । हमें दूसरों को दुःख दे कर कभी खुशी नहीं होती । यदि तुम भारतवासी हो तो फिर कैसे इतने निर्दोषों को मार कर तुम खुश हो रहे हो ? यहीं तुम्हारा धोखा सामने आ जाता है भाई । देखो मैं अभी तुम्हें भाई ही कह रहा हूँ । यही है मेरी संस्कृति , यहीं से झलकती है भारतीयता .यह कहाँ है तुममें ?
संभवतः तुम ऐसा यहाँ रह रहे मुसलमान भाइयों को बरगलाने के लिए कह रहे हो जो सम्भव ही नहीं है । टीवी पर एक बात और कही गयी जेहाद । मुझे तो नहीं लगता की यह किसी भी तरह का जेहाद है । मुझे लगता है की जेहाद की इस तरह की परिभाषा देने वालों को एक बार स्वयं जेहाद की परिभाषा देख लेनी चाहिए । भाई मेरे जेहाद का मतलब तो भूखे को खाना खिलाना भी है , गरीबों की मदद करना भी है , जंग में बेघर लोगों की मदद करना भी है । लेकिन तुम जैसा कर रहे हो ऐसी परिभाषा जेहाद की मैनें कभी नहीं सुनीं नहीं भाई ये जेहाद नहीं है । हमें मत बर्गालाओ । धोखा मत दो । भाई ये आतंकवाद है और तुम आतंकवादी बस । ना मेरे भाई हो और न यहाँ के मुसलमान भाइयों के । ना तो यह धरती तुम्हारी है और न तुम यहाँ के निवासी तुम आतंकवादी हो भाई ।

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