
पैदा हुआ जिस मिट्टी में
उस सर जमीं को सलाम,
धूप ली, हवा भी ले ली
उस मादरे वतन को सलाम ।
खून बन कर दौड़ता रगों में
वो पानी भी यहीं का है ,
ये मचलती मुहब्बत यही की ,
ये उफनती जवानी इसी की
प्यार की मीठी छुवन और
मन के कोने की जलन ,
सब कुछ तो इसका ही है ।
मेरा दिल , मेरी जान
ए वतन तुझ पे कुर्बान
ए वतन तुझ पे कुर्बान ।
उस सर जमीं को सलाम,
धूप ली, हवा भी ले ली
उस मादरे वतन को सलाम ।
खून बन कर दौड़ता रगों में
वो पानी भी यहीं का है ,

ये मचलती मुहब्बत यही की ,
ये उफनती जवानी इसी की
प्यार की मीठी छुवन और
मन के कोने की जलन ,
सब कुछ तो इसका ही है ।
मेरा दिल , मेरी जान
ए वतन तुझ पे कुर्बान
ए वतन तुझ पे कुर्बान ।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें .
7 comments:
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें .
Bahut sundar kavita.
ae watan tujh ko salaam...
bahot hi sachcha aur paavan jazba hai aapki
iss sundar kavita mein....
naman . . . . !!
---MUFLIS---
बहुत ही सुंदर कविता है आपकी
शुभ बसंत पंचमी
जय गणतंत्र
अच्छी कविता है भाई..... आप को बधाई....
Desh ki jhalak dikha dee. bahut baria.
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