जिन्दगी मेरे पास से हो कर गुजर गई ,
बैठा रहा मैं उसके इंतज़ार में ।
गुलों की तिजारत करता रहा उम्र भर ,
पर तकदीर फंस कर रह गयी खार में ।
क्यों मुहबत्त को करें बदनाम यारा ,
जब दिल ही बेवफाई कर गया ।
धोखा ,फरेब ,रुसवाई सब बेचारे हैं
ये ख़ुद ही छले गए हैं प्यार में ।
3 comments:
gulon ki tijaarat karta raha umar bhar magar takdeer fasi reh gai khaaronme --bahut hi khoobsurati se bhavon ko vyakt kiyaa hai bdhaai
निर्मला जी, आप मेरे ब्लॉग में आईं, धन्यबाद .
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