ब्लॉग पर आए मुझे कुछ अधिक दिन नहीं हुए । इस बीच काफी अच्छा लगा यह जान कर
कि ब्लॉग लोगों से जुड़ने का काफी अच्छा जरिया है । अच्छा लगता है जब अपनी रचना पर , अपनी बात पर हमें प्रतिक्रिया मिलती है । लेकिन एक बात मुझे जो खटकती है वह यह है कि मुझे लगता है किहम काफी स्वार्थी हो गए है । किसी ने आपकी रचना पर प्रतिक्रिया दी तो पलट कर हम भी उनके ब्लॉग पर जा कर औपचारिकता पूरी कर देतें है । यह ठीक नहीं लगता है । होना तो यह चाहिए कि हम खुद ही अपने पसंद के ब्लोग्स पर जा कर अपनी तलाश पूरी करें , रचना को पढ़ कर जो महसूसा उसे ही अपनी प्रतिक्रिया के रूप में उकेर दें । न कि किसी ने प्रतिक्रिया दी तो उसके ब्लॉग में प्रतिकिया ठोंक दी - अच्छी रचना । अब चाहें वो रचना अच्छी लगे या न लगे । मुझे तो कम से कम यह नही जंचता । एक और बात, यह मेरी अपनी बात है , हो सकता है अन्य लोंगों को ये बात पसंद न आए । जो मेरी सोच से सहमत नही हैं उनसे पहले ही मैं क्षमा मांग लेता हूँ । लेकिन मेरा मानना है कि जुडाव दिल से होना चाहिए, जुबान से नहीं ।
ब्लॉग आज के समय में मुझे लगता है एक सरल और सहज माध्यम है अभिव्यक्ति का , अपनी बातों को उकेरने का, अपनी संस्कृति और साहित्य को बचाने का भी । ऐसे में इसका सहज और गंभीर उपयोग होना चाहिए न कि सतही और औपचारिक । कुल मिला कर लगाव जरूरी है
14 comments:
लेकिन मेरा मानना है कि जुडाव दिल से होना चाहिए, जुबान से नहीं.
ठीक कहा आपने पर एक चीज यहाँ मुझे लगता है कि ध्यान देने वाली है कि कमेन्ट के बदले कमेन्ट देने से ही तो रिश्ते बनते है और जो जुबान से जुड़कर दिल के रिश्तें ऐसे ही बनते है. इस बात पर ध्यान दीजिये. हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है. लिखते रहिये और टिप्पणी देते रहिये. कमेन्ट के बदले कमेन्ट देना तो एक बहाना है दिल से जुड़ने का.
ब्लॉग आज के समय में मुझे लगता है एक सरल और सहज माध्यम है अभिव्यक्ति का , अपनी बातों को उकेरने का, अपनी संस्कृति और साहित्य को बचाने का भी । ऐसे में इसका सहज और गंभीर उपयोग होना चाहिए न कि सतही और औपचारिक । कुल मिला कर लगाव जरूरी है ....sahi kha aapne !!
ye sach hai aur ise mahsoos kiye jaane aur is par amal laane ki jaroorat hai...aabhaar
जब कोई अपने ब्लॉग पर टिपण्णी देता है, तो उसके ब्लॉग पर जाकर देखने की जिज्ञासा होती है. तभी टिप्पणी भी दी जाती है और टिप्पणियों में आलोचना भी होती है.
अच्छा लगा आपका नजरिया ! मेरे ब्लॉग पर कुछ दिनों पहले की एक पोस्ट है " फर्जी शुभकामनाये " |समय हो तो ज़रा एक बार देखियेगा !
:-)"न कि किसी ने प्रतिक्रिया दी तो उसके ब्लॉग में प्रतिकिया ठोंक दी - अच्छी रचना"
क्षमा करिएगा ! वैसे अभी तो मै इसी तर्ज पर आया था !
bilkul aisa hi hubahu lekh abhi 3-4 din pahle main ne ek blog par dekha tha aur apni vistrat raaay di thi..taaajuub hai ki yah aap ne 14 feb ko likha hai means us posted lekh se pahle---badi hairaani ki baat hai--kya aap ka koi aur kisi naam se bhi blog hai??agar nahin to kisi ne same lekh apne blog par dusre shirshak se dala hai--yaad nahin aa raha -kis ka blog tha-koi anjana -aparichit blog tha--yaad aayega to batungi--thnx--alpana
यूँ ही जुडाव बनता है इस ब्लॉग जगत में ..पर पढ़ कर समझ कर टिप्पणी मिले तो खुशी अधिक होती है ..
अल्पना जी सहित अन्य सभी साथियों को धन्यवाद, मेरे ब्लॉग पर आए और अपनी राय दी. यूँ ही बात दिल में आई, लगा एक गंभीर मुद्दा है, आप सभी के सहयोग के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद
अल्पना जी मेरा एक और ब्लॉग है, अमिताभ प्रियदर्शी के नाम से . लेकिन वह खाली पन्ना है.
जो आपने पढ़ा वह मेरे मित्र के ब्लॉग मंथन न्यूज़ ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम पर था .जिसे मंथन जी ने मेरी सहमती से अपने ब्लॉग पर ले जा कर मुझे कृतार्थ किया था .
अमिताभजी,
आपकी बातें अक्षरश: सही हैं।
टिप्पणी सारगर्भित तो होनी ही चाहिए।
रचना के सुंदर लगने का
कारण भी आवश्यक है।
सीख रहे साथियों के लिए तो ठीक है,
पर कुछ लोग तो
दो शब्दों के साथ
आपने ब्लॉग्स के लंबे-लंबे लिंक्स लगाकर
इधर से उधर टिप्पणी करते भटकते रहते हैं। यह सब बहुत हास्यास्पद लगता है।
कभी-कभी तो शक होता है कि
इन्होंने टिप्पणी करने से पहले
रचना पढ़ी भी थी या नहीं।
ख़री पोस्ट प्रकाशित करने के लिए बधाई।
और हाँ,
यदि किसी को अपनी रचना
छापने की अनुमति दें, तो उससे
उसके साथ यह बात भी
अवश्य अल्लिखित करवाएँ कि
रचना आपके ब्लॉग से ली गई है।
we get to know persons through reactions....nice writings..
mai bhi aapki baatonse sahamat hoon.
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