Saturday, January 31, 2009

कुछ और मज़ा है

मृत्यु का भय लेकर जीने में
सच मानो कुछ और मजा है ।
प्यार में इक धोखा खाने का
सच मानो कुछ और मज़ा है ।
सुख में ऊब चुके होने पर
दुःख लेने का और मजा है .
माँ की मीठी ममता पर
पापा की झिड़की का और मजा है ।
छोटी बहन को टॉफी देकर
छीन लेने का और मज़ा है ।
खामोशी के बाद मुखर होने का
सच मानो कुछ और मज़ा है ।
जीवन -मरण , सुख और दुःख,
ये सब जीवन के पहलू हैं ,
इनमे रह कर , इनसे डर कर
जीने में कुछ और मज़ा है ।

Sunday, January 25, 2009


पैदा हुआ जिस मिट्टी में
उस सर जमीं को सलाम,
धूप ली, हवा भी ले ली
उस मादरे वतन को सलाम ।
खून बन कर दौड़ता रगों में
वो पानी भी यहीं का है ,
ये मचलती मुहब्बत यही की ,
ये उफनती जवानी इसी की
प्यार की मीठी छुवन और
मन के कोने की जलन ,
सब कुछ तो इसका ही है ।
मेरा दिल , मेरी जान
ए वतन तुझ पे कुर्बान
ए वतन तुझ पे कुर्बान ।




गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें .



Saturday, January 24, 2009

जिन्दगी

जिन्दगी मेरे पास से हो कर गुजर गई ,
बैठा रहा मैं उसके इंतज़ार में ।
गुलों की तिजारत करता रहा उम्र भर ,
पर तकदीर फंस कर रह गयी खार में ।

क्यों मुहबत्त को करें बदनाम यारा ,
जब दिल ही बेवफाई कर गया ।
धोखा ,फरेब ,रुसवाई सब बेचारे हैं
ये ख़ुद ही छले गए हैं प्यार में ।

चुपके चुपके गम पीने में

दिल की बातें पढ़ लेता हूँ
सुंदर मूरत गढ़ लेता हूँ
तुम भी मुझ से मिल कर देखो
बिन पंखों मैं उड़ लेता हूँ ।
बात दुखों की मत कुछ करना ,
दिल की आहें दिल में भरना ,
कौन सुनेगा इस जंगल में
मेरा मरना , तेरा जीना ।
कोई नहीं है मेरा -तेरा ,
बस है एक फरेब का घेरा ,
फ़िर भी ऐसा कुछ कर लेता हूँ,
मैं दिल की बातें पढ़ लेता हूँ ।
मैं बढ़ता हूँ एक कदम
एक कदम बस तुम भी बढ़ लो
मेरी तरह गर गम को पी लो ,
तो बिन पंखों के तुम भी उड़ लो ।
सच कहता हूँ तुम्हें बताऊँ
खूब मजा हैं इस जीने में
चेहरे पर एक हंसी हो , पर
चुपके चुपके गम पीने में ।

Monday, January 19, 2009

जरदारी असंतुलित

भारत सहित अन्य देशों में आतंकवादी हमलों में पाक की संलिप्तता साबित होने, ख़ास कर मुंबई हमलों के बाद विश्व समुदाय के शिकंजे में ख़ुद को फंसता देख पाक राष्ट्रपती जरदारी दिमागी रूप से असंतुलित हो गए हैं । अपने देश में आतंकियों को आश्रय देने वाले जरदारी अब पत्रकारों को ही आतंकी करार दे रहें हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि आतंकी किसे कहते हैं । दरअसल उन्होंने जब से होश संभाला तब से अपने चारों ओर आतंकियों को ही देखा , उन्हें ही समझा और जाना .ऐसे में लाजिमी है कि हर इन्सान उन्हें आतंकी नजर आए । लेकिन हमाम में ख़ुद को नंगा देखने वाला यदि पुरी दुनिया को ही नंगा समझ कर हमाम से बहार आ जाए तो उसकी स्तिथि का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
एक बात और है छोटे लोगों की सोंच भी छोटीही होती है । यह पाक को देख कर सहज ही अंदाजा हो जाता है । चरित्र हम नहीं बदल सकते । वोःहर किसी में जन्मजात होता है । पाक का भी चरित्र जन्मजात है । छल, झूठ, धोखा यहाँ विभाजन के साथ ही है । इसे समझा जा सकता है ।
लेकिन अब पानी हद पार कर चुका है । पत्रकारों को ही आतंकी करार देने लगे हैं जरदारी ऐसे में जरूरी हो गया है जरदारी का मानसिक ईलाज ।
पाक का आतंकी भारत में गिरफ्तार हुआ , सिम पाक और अमेरिका के मिले पाक मीडिया ने कसाब का घर, उसकी माता पिता सब दिखा दिया । अब जरदारी को लगा कि उनेहे वहाँ की मीडिया ही फंसा देगी तो कह दिया कि पत्रकार ही आतंकी हैं ।

Tuesday, January 6, 2009

कैसा नया वर्ष


गाय का रम्भाना वही,
चिडियों का चहचहाना वही ,
नदियों की कलकल भी वही ,
भौरों की भिन्-भिन पहले ही जैसी ,
फिर कैसा नया वर्ष ?
रामू की चिंता रोटी की वही ,
सुगिया की बच्ची के लिए आज भी दूध नही ,
लंगडा भिखारी भी मांगना नहीं भूला ,
तंगहाली पुरानी आज भी दिखती हर कहीं ,
फिर कैसा नया वर्ष ?
हिंदू भी वही, मुसलमान भी वही,
धरती न बदली , आसमान वही,
मेरा -तुम्हारा और दुराव भी है,
भक्त न बदले , भगवान् वही,
फिर कैसा नया वर्ष ?
वास्तव में जिंदिगी में इतनी ऊब है ,
कि मन को भुलाने का बहाना ये खूब है ।