Saturday, January 24, 2009

चुपके चुपके गम पीने में

दिल की बातें पढ़ लेता हूँ
सुंदर मूरत गढ़ लेता हूँ
तुम भी मुझ से मिल कर देखो
बिन पंखों मैं उड़ लेता हूँ ।
बात दुखों की मत कुछ करना ,
दिल की आहें दिल में भरना ,
कौन सुनेगा इस जंगल में
मेरा मरना , तेरा जीना ।
कोई नहीं है मेरा -तेरा ,
बस है एक फरेब का घेरा ,
फ़िर भी ऐसा कुछ कर लेता हूँ,
मैं दिल की बातें पढ़ लेता हूँ ।
मैं बढ़ता हूँ एक कदम
एक कदम बस तुम भी बढ़ लो
मेरी तरह गर गम को पी लो ,
तो बिन पंखों के तुम भी उड़ लो ।
सच कहता हूँ तुम्हें बताऊँ
खूब मजा हैं इस जीने में
चेहरे पर एक हंसी हो , पर
चुपके चुपके गम पीने में ।