Sunday, December 7, 2008

मैं जीवन के पन्ने उकेरता हूँ

फूलों की, कलियों की, भौरों की बातें ,
खुशबू की , बदबू की, फिजाओं की यादें ,
सुख की , दुःख की , खुशियों की परतें ,
मैं अपनी बाँहों से घेर लेता हूँ ।
जीवन हूँ , मैं जीवन के पन्ने उकेर देता हूँ ।

भूख की उफान , गरीबी के फंदे ,
सच के , झूठ के , फरेब के धंधे ,
इश्वर के दूत , खुदा के बन्दे ,
सूरत के अच्छे , सीरत के गंदे ,
सबको मैं जीवन में बखेर देता हूँ ।
जीवन हूँ ,मैं जीवन के पन्ने उकेर देता हूँ ।

सुबह की , शाम की , रात की खटक ,
कौओं की काओं , बुलबुल की चहक ,
खिलंदरा बचपन, बहका सा यौवन,
बढ़ता कैअशयोर्य , संजीदा प्रोऔद्पन,
सभी को मैं पल में घेर लेता हूँ ।
जीवन हूँ मैं जीवन के पन्ने उकेर देता हूँ ।

तेरी मुस्कान , उसका क्रंदन ,
किसी की उपेक्षा , किसी का स्पंदन ,
दुष्टों का मर्दन , और देवों का वंदन ,
आंखों की शर्म और दिलों की धड़कन ,
सभी को यूँ हीं मैं छेड़ देता हूँ ।
जीवन हूँ , मैं जीवन के पन्ने उकेर देता हूँ .

No comments: