Sunday, November 9, 2008

कहां जा रहें हैं हम

पहले दक्षिण भारत फिर असम, उसके बाद अब म्हाराशस्त्र, फिर असम । फिर संभवतः कोई नया राज्य होगा जहाँ हिन्दीभाषी पिटेंगे, मारे जायेंगे या खदेडे जायेंगे । कई मांगें उजड़ गयी कितनी गोदे सूनी हो गयी , पर कहाँ चेत रहें हैं हम ? क्या हो गया है हमें ? अगर हम भारतीय हैं तो यह भेद क्यों ? और अगर पूरे देश में यही सब होने लगे तब क्या होगा ?
कहां तो हम सपना देख रहें थे विश्व गुरु बनने का और आज हमें अपने अस्तित्व की लडाई लड़नी पड़ रही है । बड़े शर्म की बात है । जो हो झा है उससे नेताओं को कुछ लेना-देना नहीं है । वे तो महज अपना स्वार्थ साधने में रहतें हैं । ये राज ठाकरे हों या फिर लालू यादव । सोचना तो हमें है । हम क्यों नही समझ रहें ?
अब भी समय है मामले को समझो मेरे भाई वरना कहीं तुम्हारा भी राहुल या सकलदेव न मारा जाए ।

1 comment:

सुनील मंथन शर्मा said...

मामले को समझो मेरे भाई