Wednesday, November 19, 2008

क्या कहूं सब रीत गया

क्या कहूं सब रीत गया ,
सपने सा जीवन बीत गया ।
िकससे िगला, िशकवा िकससे ,
जीत कर भी यहाँ सब रीत ग्या ।
अपने हैं यहाँ सभी ,क्या होगा रो कर ,
रचना होगा कोई गीत नया ।
िरश्ते - नाते िफर से होंगे गढने,
छेडना होगा िफर संगीत नया ।
क्या कहूं अब सब रीत गया,
सपने सा जीवन यहाँ बीत ग्या ।

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